आज विश्व अस्थमा दिवस है। यूँ तो कई दिवस आते हैं और हम उनके बारे में चर्चा करके भूल भी जाते हैं, पर आज का दिन याद रखना जरूरी है, क्योंकि सवाल साँसों का है। अगर इस दिन की गंभीरता को न समझा तो साँसें कभी भी थम सकती हैं। न चाहते हुए भी दुनियाभर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो अपने हिस्से की साँस भी पूरी तरह नहीं ले पाते। आखिर इसकी क्या वजह है, कैसे अस्थमा के रोगियों को कम किया जा सकता है... जैसे विषयों पर चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी हम आप तक पहुँचा रहे हैं। शहर में धुएँ और धूल के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यही नहीं, पेट्रोल पंप पर काम करने वाला हर दसवाँ कर्मचारी अस्थमा की चपेट में है। इसकी सबसे प्रमुख वजह है प्रदूषण के बीच कार्य करना। इस रोग को रोका जा सकता है, जरूरत है सावधानी की। . धूम्रपान न करें, स्वच्छ वातावरण में रहें . हरियाली के बीच टहलें, व्यायाम, स्वीमिंग करें . बीमारी होने पर ठंडे व खट्टे भोजन से परहेज करें . धूल, धुआँ, प्रदूषण से बच्चों को बचाएँ . नियमित रूप से जाँच कराएँ . आशंका होने पर संबंधित चिकित्सक से ही जाँच कराएँ . धुआँ, धूल से बचने...