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Showing posts with the label टिप्स फॉर यूथ

बोर होना सेहत के लिए अच्छा नहीं

बहुत ज्यादा काम या नया काम ही तनाव नहीं देता। कई बार वही पुराना काम व नए चुनौतीपूर्ण काम का अभाव भी हमें टेंशन दे सकता है! अगर आप लगातार एक जैसा काम करते हुए बोर हो रहे हैं तो संभल जाइए यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। बोर होने के नुकसान : - 1 लगातार बोर होते रहने से जीवन में नीरसता आ जाती है, इससे चेहरे की त्वचा अपनी चमक खोने लगती है। 2 जीवन के प्रति उत्साह ना रहने से चि‍ड़चिड़ापन और उद्वीग्नता आ जाती है। 3 आँखें बुझी-बुझी लगती है। 4 छोटे-छोटे रोग शरीर में घर बनाने लगते हैं। 5 सबसे पहला असर प्राकृतिक भूख पर पड़ता है। भोजन के प्रति अरुचि होने लगती है। क्या करें :- बो‍रियत से बचने के लिए अपनी रुचि के अनुरूप कार्यों के लिए समय निकालें। कुछ समय योग, भक्ति या व्यायाम के लिए निकालें। मित्रों एवं परिवार वालों के साथ समय बिताएँ। प्राकृतिक स्थानों पर जाएँ। ऐसी पुस्तकें पढ़ें, जिनमें आपकी रुचि हो। मनपसंद संगीत सुनें। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ।

ताली पीटें, रोग भगाएँ

पिछले करीब 5 सालों से हर दिन नहाने के बाद 15 मिनट ताली बजाता हूँ। मेरा अनुभव रहा है कि बेहद खराब जीवन शैली व रोगों के घर मोटापे के बावजूद केवल इस आदत ने अब तक मेरी रक्षा की है। ताली बजाने के फायदे पर मेरा भरोसा इस कदर बढ़ा है कि कोई पेट या सिर में होने वाली किसी भी परेशानी के लिए अच्छे डॉक्टर की सलाह माँगता है तो मैं पहले ताली की महिमा का बखान करने लग जाता हूँ। जिन लोगों ने मेरी यह सलाह मानी वे सभी मेरे शुक्रगुजार हैं। पिछले महीने की एक घटना के बाद लगा कि मुझे अपना यह अनुभव विशाल पाठक वर्ग से भी बाँटना चाहिए। खबरों की टोह लेने कुछ लंबे छरहरे स्वास्थ्य रिपोर्टरों के साथ शास्त्री भवन में था। वहाँ खुली सस्ती जेनेरिक दवा की सरकारी दुकान में घुस गया। वहाँ कक्ष में बैठे एमबीबीएस डॉक्टर से हम सब ने अपना ब्लड-प्रेशर नपवाया। मेरे ब्लड-प्रेशर की 120/80 रीडिंग देख कर उन्हें सहज यकीन ही नहीं आया। 50 से अधिक उम्र और इतनी बड़ी तोंद के बावजूद इतना 'आदर्श' ब्लड-प्रेशर, कैसे संभव है। दूसरे साथियों का ब्लड-प्रेशर भी सामान्य था लेकिन इतना सामान्य नहीं था। जब मैंने डॉक्टर को ताली बजाने...

दवाएँ छोड़ो, दिनचर्या बदलो

लाइफ स्टाइल बदलने से हेल्थ की कई प्रॉब्लम्स अपने आप चली जाती हैं। मसलन यदि आप देर तक सोने के आदी थे और अब जल्दी उठने लगे हैं तो डेफिनेटली आपकी हेल्थ में पॉजिटीव इम्प्रूवमेंट होगा। इसलिए दवाएँ छोड़ना हों तो दिनचर्या बदल डालिए। हमें बहुत सारी महँगी दवाइयाँ खाकर भी अपनी बीमारी से मुक्ति नहीं मिल पाती। क्या आपकी बीमारी का इलाज सिर्फ दवाइयाँ हैं? नित नई ऊँचाइयों को छूने की अंधी दौड़ में अस्त-व्यस्त जीवन व अत्यधिक तनाव ही हमारे हिस्से में आता है। परिणामस्वरूप कार्यक्षमता घट जाती है। बीमारियाँ, मानसिक विकार, निराशा व खीज व्यक्ति को घेरने लगते हैं। इन बीमारियों के लिए जिम्मेदार हमारी जीवनशैली है। ये नतीजा है, स्वास्थ्य व जीवनशैली के बीच के असंतुलन का, परंतु हम बीमारी की जड़ को देखे बिना बस दवाइयाँ खाने पर विश्वास करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियाँ, हायपरकोलेस्ट्रोलेमिया मोटापा या जोड़ों का दर्द आदि इन बीमारियों की जड़ क्या है? उदाहरण के लिए यदि आप उच्च-रक्तचाप से पीड़ित हैं और रोज दवाइयाँ खा रहे हैं। यह आपके लिए हानिकारक है। इसकी शुरुआत कहाँ ...

हेल्थ के लिए खूब बातें कीजिए

क्या यह सुनने-सुनते आपके कान पक गए हैं कि ज्यादा बातें करना अच्छी बात नहीं? ...तो यह भी सुन लीजिए कि वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि बातें करने से आपका दिमाग तेज होता है और मानसिक स्वास्थ्य बढ़िया रहता है। माना जाता है, बातें बनाना बुरी बात है। लोग अक्सर कहते भी हैं, इस तरह बातें बनाने से बात नहीं बनेगी। लोग बातूनी लोगों को अक्सर व्यंग्य से इस तरह वाक्‌पटु कहते हैं मानो उन्हें चिढ़ा रहे हों। लेकिन बातें बनाना या ज्यादातर लोगों से संवाद स्थापित कर लेना न तो किसी बेवकूफी की निशानी है और न ही इससे कोई नुकसान है। भले ही लोग कहते हों कि बातें बनाने से कुछ नहीं होगा, मगर वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत शोध के जरिए साबित किया है कि बातें बनाना न सिर्फ बुद्धिमान बनने का जरिया है, बल्कि निरंतर और हर तरह के लोगों से संवाद कला में माहिर होने वाले लोग जीनियस भी साबित होते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) ने एक विस्तृत शोध में पाया है कि जब आप रोजाना 10 मिनट किसी के साथ किसी भी विषय पर बातचीत करते हैं तो इससे न केवल आप धीरे-धीरे संवाद कला में माहिर होते जाते हैं, बल्कि इससे याददाश्त भी तेज हो...