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टिप्स नाइन फॉर हेल्दी लाइफ

* अगर सुख की नींद सोना हो तो सोते समय 'चिंता' न करें, प्रभुनाम का 'चिंतन' करें। * पाचन शक्ति ठीक रखनी हो तो ठीक वक्त पर भोजन करें और प्रत्येक कौर को 32 बार चबाएँ। * यदि यौनशक्ति ठीक रखनी हो तो कामुक चिंतन न किया करें और सप्ताह में एक से अधिक बार सहवास न किया करें। * यह गलतफहमी है कि अण्डा, माँस खाने से बल बढ़ता है और शराब पीने से आनंद आता है। अण्डा, माँस खाने से शरीर मोटा-तगड़ा जरूर हो सकता है पर कुछ बीमारियाँ भी इसी से पैदा होती हैं। शराब पीने से आनंद नहीं आता, बेहोशी आती है और बीमारियाँ होती हैं। * अपनी आर्थिक शक्ति से अधिक धन खर्च करने वाला कर्जदार हो जाता है। अपनी शारीरिक शक्ति से अधिक श्रम करने वाला कमजोर हो जाता है। अपनी क्षमता से अधिक विषय भोग करने वाला जल्दी बूढ़ा और नपुंसक हो जाता है और अपने से अधिक बलवान से शत्रुता करने वाला नष्ट हो जाता है। * भोजन करते समय और सोते समय किसी भी प्रकार की चिंता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए। भोजन से पहले हाथ और सोने से पहले पैर धोना तथा दोनों वक्त मुँह साफ करना हितकारी होता है। * यदि आप मुफ्त में स्वस्थ...

फूलों से पाएँ महकता उपचार

मोगरा : यूँ तो यह गर्मियों का एक खास खुशबूदार फूल है। इसकी भीनी-भीनी महक तन-मन को ठंडक का एहसास भी कराती है। इसके फूलों को रुमाल या वस्त्रों के अंदर रखने से ठंडी ताजगी अनुभव होती है। पसीने की बदबू हटाने के लिए 8 ताजे फूलों को आधा प्याला पानी में अच्छी तरह मसल लें, इस पानी का लेप पूरे शरीर पर मलें। त्वचा मोगरे की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगी। हाँ, आप चाहें तो स्नान के लिए बाल्टीभर पानी में 5-6 मोगरे के फूल मसलकर भी स्नान कर सकती हैं। त्वचा में सनसनाती प्राकृतिक ठंडक का एहसास होने लगेगा। गुलाब : यूँ तो गुलाब त्वचा का सौन्दर्य निखारने में सदियों से माहिर है। गुलाब के फूलों की पत्तियाँ त्वचा को पोषण देती हैं, त्वचा के रोम-रोम को सुगंधित बनाती हैं, ठंडक प्रदान करती हैं। गुलाब के 2 फूलों को पीसकर, आधा प्याले कच्चे दूध में 30 मिनट तक भिगोएँ, फिर इस लेप को आहिस्ता-आहिस्ता त्वचा पर मलें, सूखने पर ठंडे-ठंडे पानी से स्नान कर लें। शरीर की त्वचा नर्म, मुलायम और गुलाबी आभायुक्त दिखाई देगी। गर्मियों में गुलाब के फूलों का रस चेहरे पर मलने से चेहरे पर ठंडी-ठंडी ताजगी बनी रहती...

बोर होना सेहत के लिए अच्छा नहीं

बहुत ज्यादा काम या नया काम ही तनाव नहीं देता। कई बार वही पुराना काम व नए चुनौतीपूर्ण काम का अभाव भी हमें टेंशन दे सकता है! अगर आप लगातार एक जैसा काम करते हुए बोर हो रहे हैं तो संभल जाइए यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। बोर होने के नुकसान : - 1 लगातार बोर होते रहने से जीवन में नीरसता आ जाती है, इससे चेहरे की त्वचा अपनी चमक खोने लगती है। 2 जीवन के प्रति उत्साह ना रहने से चि‍ड़चिड़ापन और उद्वीग्नता आ जाती है। 3 आँखें बुझी-बुझी लगती है। 4 छोटे-छोटे रोग शरीर में घर बनाने लगते हैं। 5 सबसे पहला असर प्राकृतिक भूख पर पड़ता है। भोजन के प्रति अरुचि होने लगती है। क्या करें :- बो‍रियत से बचने के लिए अपनी रुचि के अनुरूप कार्यों के लिए समय निकालें। कुछ समय योग, भक्ति या व्यायाम के लिए निकालें। मित्रों एवं परिवार वालों के साथ समय बिताएँ। प्राकृतिक स्थानों पर जाएँ। ऐसी पुस्तकें पढ़ें, जिनमें आपकी रुचि हो। मनपसंद संगीत सुनें। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ।

एक कप चाय हो जाए !

चाय एक लोकप्रिय पेय है। न केवल हम स्वयं ही इसका सेवन करते हैं, अपितु अतिथियों का स्वागत-सत्कार भी चाय से ही किया जाता है। सच तो यह है कि चाय लोगों की जिंदगी में रच-बस गई है। हाल में वैज्ञानिकों ने इस बात पता लगाया है कि चाय का सेवन हृदय को स्वस्थ बनाए रखता है। मानवीय विषयों पर किए गए विशेष क्लिनिकल अनुसंधान से यह तथ्य उजागर हुआ है कि हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए हमारी रोजमर्रा की डाइट में चाय सेवन की प्रमुख भूमिका है।  अमेरिका कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के एक शोध के अनुसार काली चाय हृदय के लिए काफी अच्छी है। इसमें मौजूद फ्लेवेनाइड्स एंटीऑक्सीडेंट हृदय के सेल्स तथा ऊतकों की ऑक्सीकरण से होने वाली क्षति से सुरक्षा करते हैं।  एक अन्य शोध से पता चलता है कि चाय का सेवन थक्के बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित रखता है जिससे हृदयाघात की आशंका कम हो जाती है। रक्त में एंटीऑक्सीडेंट का घनत्व बढ़ने से चाय हृदय के लिए लाभदायक है। जो महिलाएँ प्रतिदिन कुछ कप चाय पीती थीं, उनमें हृदय रोग के लिए मुख्य रूप से उत...

ताली पीटें, रोग भगाएँ

पिछले करीब 5 सालों से हर दिन नहाने के बाद 15 मिनट ताली बजाता हूँ। मेरा अनुभव रहा है कि बेहद खराब जीवन शैली व रोगों के घर मोटापे के बावजूद केवल इस आदत ने अब तक मेरी रक्षा की है। ताली बजाने के फायदे पर मेरा भरोसा इस कदर बढ़ा है कि कोई पेट या सिर में होने वाली किसी भी परेशानी के लिए अच्छे डॉक्टर की सलाह माँगता है तो मैं पहले ताली की महिमा का बखान करने लग जाता हूँ। जिन लोगों ने मेरी यह सलाह मानी वे सभी मेरे शुक्रगुजार हैं। पिछले महीने की एक घटना के बाद लगा कि मुझे अपना यह अनुभव विशाल पाठक वर्ग से भी बाँटना चाहिए। खबरों की टोह लेने कुछ लंबे छरहरे स्वास्थ्य रिपोर्टरों के साथ शास्त्री भवन में था। वहाँ खुली सस्ती जेनेरिक दवा की सरकारी दुकान में घुस गया। वहाँ कक्ष में बैठे एमबीबीएस डॉक्टर से हम सब ने अपना ब्लड-प्रेशर नपवाया। मेरे ब्लड-प्रेशर की 120/80 रीडिंग देख कर उन्हें सहज यकीन ही नहीं आया। 50 से अधिक उम्र और इतनी बड़ी तोंद के बावजूद इतना 'आदर्श' ब्लड-प्रेशर, कैसे संभव है। दूसरे साथियों का ब्लड-प्रेशर भी सामान्य था लेकिन इतना सामान्य नहीं था। जब मैंने डॉक्टर को ताली बजाने...

समर में कूल : कलरफूल अंगूर

अंगूर सारे भारत में आसानी से उपलब्ध फल है। इसमें विटामिन-सी तथा ग्लूकोज पयाप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में खून की वृद्धि करता है और कमजोरी दूर करता है। यही कारण है कि डॉक्टर लोग मरीजों को फलों में अंगूर ही खाने की सलाह देते हैं। अंगूर को संस्कृत में द्राक्षा, बंगला में बेदाना या मनेका, गुजराती में धराख, फारसी में अंगूर, अरबी में एनवजबीब, इंग्लिश में ग्रेप या ग्रेप रैजिन्स तथा लैटिन में विटिस्‌ विनिफेरा कहते हैं। अंगूर के औषधि गुण : प्रत्येक 100 ग्राम अंगूर में लगभग 85.5 ग्राम पानी, 10.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 0.8 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 0.03 ग्राम कैल्शियम, 0.02 ग्राम फास्फोरस, 0.4 मिलीग्राम आयरन, 50 मिलीग्राम विटामिन-बी, 10 मिलीग्राम विटामिन-सी, 8.4 मिलीग्राम विटामिन-पी, 15 यूनिट विटामिन-ए, 100 से 600 मिलीग्राम टैनिन, 0.41-0.72 ग्राम टार्टरिक अम्ल पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सोडियम क्लोरॉइड, पोटेशियम क्लोरॉइड, पोटेशियम सल्फेट, मैग्निशियम तथा एल्युमिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी त...

दवाएँ छोड़ो, दिनचर्या बदलो

लाइफ स्टाइल बदलने से हेल्थ की कई प्रॉब्लम्स अपने आप चली जाती हैं। मसलन यदि आप देर तक सोने के आदी थे और अब जल्दी उठने लगे हैं तो डेफिनेटली आपकी हेल्थ में पॉजिटीव इम्प्रूवमेंट होगा। इसलिए दवाएँ छोड़ना हों तो दिनचर्या बदल डालिए। हमें बहुत सारी महँगी दवाइयाँ खाकर भी अपनी बीमारी से मुक्ति नहीं मिल पाती। क्या आपकी बीमारी का इलाज सिर्फ दवाइयाँ हैं? नित नई ऊँचाइयों को छूने की अंधी दौड़ में अस्त-व्यस्त जीवन व अत्यधिक तनाव ही हमारे हिस्से में आता है। परिणामस्वरूप कार्यक्षमता घट जाती है। बीमारियाँ, मानसिक विकार, निराशा व खीज व्यक्ति को घेरने लगते हैं। इन बीमारियों के लिए जिम्मेदार हमारी जीवनशैली है। ये नतीजा है, स्वास्थ्य व जीवनशैली के बीच के असंतुलन का, परंतु हम बीमारी की जड़ को देखे बिना बस दवाइयाँ खाने पर विश्वास करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियाँ, हायपरकोलेस्ट्रोलेमिया मोटापा या जोड़ों का दर्द आदि इन बीमारियों की जड़ क्या है? उदाहरण के लिए यदि आप उच्च-रक्तचाप से पीड़ित हैं और रोज दवाइयाँ खा रहे हैं। यह आपके लिए हानिकारक है। इसकी शुरुआत कहाँ ...

हेल्थ के लिए खूब बातें कीजिए

क्या यह सुनने-सुनते आपके कान पक गए हैं कि ज्यादा बातें करना अच्छी बात नहीं? ...तो यह भी सुन लीजिए कि वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि बातें करने से आपका दिमाग तेज होता है और मानसिक स्वास्थ्य बढ़िया रहता है। माना जाता है, बातें बनाना बुरी बात है। लोग अक्सर कहते भी हैं, इस तरह बातें बनाने से बात नहीं बनेगी। लोग बातूनी लोगों को अक्सर व्यंग्य से इस तरह वाक्‌पटु कहते हैं मानो उन्हें चिढ़ा रहे हों। लेकिन बातें बनाना या ज्यादातर लोगों से संवाद स्थापित कर लेना न तो किसी बेवकूफी की निशानी है और न ही इससे कोई नुकसान है। भले ही लोग कहते हों कि बातें बनाने से कुछ नहीं होगा, मगर वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत शोध के जरिए साबित किया है कि बातें बनाना न सिर्फ बुद्धिमान बनने का जरिया है, बल्कि निरंतर और हर तरह के लोगों से संवाद कला में माहिर होने वाले लोग जीनियस भी साबित होते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) ने एक विस्तृत शोध में पाया है कि जब आप रोजाना 10 मिनट किसी के साथ किसी भी विषय पर बातचीत करते हैं तो इससे न केवल आप धीरे-धीरे संवाद कला में माहिर होते जाते हैं, बल्कि इससे याददाश्त भी तेज हो...