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क्या मोटाबा आड़े आता है यौन आनंद के!

मोटे, या फिर कहें अत्यधिक मोटापे के शिकार पुरुषों एवं महिलाओं को समाज में शारीरिक, भावनात्मक एवं मानसिक परेशानियों से तो गुजरना पड़ता ही है, साथ ही इससे उनका सेक्स जीवन भी प्रभावित होता है। वैवाहिक जीवन की सफ़लता और यौनतुष्टि के बीच गहरा रिश्ता है। हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार- भारत में तलाक के मामलों में से 50 प्रतिशत के पीछे यौनतुष्टि का अभाव मुख्य कारण रहता है। यौन संबंध विफल हो जाने या पूर्णरूपेण संतुष्टि ना होने के पीछे कार्यरत मुख्य कारणों में किसी एक साथी का मोटापा भी एक कारण हो सकता है। यौन क्रिया एवं आनंद में मोटापा तीन स्तरों पर बाधक रहता है- शारीरिक, भावनात्मक तथा मानसिक। शारीरिक तौर पर देखा जाये तो मोटे या थुलथुल शरीर के प्रति मन में आकर्षण उत्पन्न नहीं होता, जिससे कामवासना या कामेच्छा भी जागृत नहीं होती। आलसी, बेडौल और हद से ज्यादा मोटे व्यक्ति को अच्छे और हंसमुख व्यवहार के बावजूद लोग पसंद नहीं करते। इस पर मोटे व्यक्ति तन्हा रह जाते हैं और उनमें अपने अनाकर्षक और बेडौल शरीर को लेकर शर्मिंदगी और हीन भावना घर कर जाती है। इसी अहसास के चलते और अपने अन...

'क्रीम वियाग्रा' ज़्यादा सुरक्षित

न्यूयॉर्क में वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों में यौन उत्तेजना के लिए उपयोग में आने वाली दवा का इस्तेमाल टैबलेट के बजाय क्रीम के रूप में करना ज़्यादा सुरक्षित है. चूहों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक वियाग्रा, लेविट्रा और साएलिस जैसी दवाइयां छोटे- छोटे कैपसूलों के ज़रिए सीधे त्वचा में लगाई जा सकती हैं. ‘सेक्सुअल मेडिसिन’ नामक पत्रिका में छपे इस शोध में कहा गया है कि इससे दवा का असर और ज़्यादा होगा जबकि इससे होने वाले ‘साइड इफेक्ट्स’ में भी कमी आ सकती है. लेकिन क्रीम के रूप में इन दवाओं के आने में अभी एक दशक का समय लग सकता है. उत्तेजनात्मक कमज़ोरी के इलाज के लिए टेबलेट के रूप में दवाइयों की खोज दवा उद्योग की बड़ी सफलताओं में से एक मानी जाती है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन दवाओं का इस्तेमाल दुनिया भर में करोड़ों लोग करते हैं. टैबलेट का असर होने में आधा से एक घंटा तक का समय लगता है, जबकि क्रीम का असर कुछेक मिनटों में ही हो जाता है.  हालांकि इन दवाओं से बहुत से लोगों को फ़ायदा पहुंचा है लेकिन सिर दर्द, आंखों की बीमारी और पेट की ख़राबी जैसे कई साइड इफेक्ट्स ...

क्या वाक़ई कोई जी-स्पॉट होता है?

अभी तक अक्सर ये चर्चा होती रही है कि कुछ महिलाओं में एक ऐसा स्थान होता है जो उन्हें यौन का चरम सुख देने में मदद करता है और इस स्थान को जी-स्पॉट कहा जाता है. लेकिन अब कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि ऐसा कोई स्थान होता ही नहीं है और यह सिर्फ़ एक भ्रम है. इन शोधकर्ताओं ने अनेक महिलाओं में यह स्थान यानी जी-स्पॉट को ढूँढने की कोशिश की है लेकिन ऐसा कोई बिंदु नहीं मिला है. इस आशय के एक अध्ययन का परिणाम जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन को इस विषय पर अभी तक का सबसे बड़ा कहा जा रहा है जिसमें 1800 महिलाओं को शामिल किया गया. लंदन के प्रतिष्ठित किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों के इस दल का विश्वास है कि जी-स्पॉट महिलाओं की कल्पना का नतीजा मात्र हो सकता है जिसे यौन विषयों को बेचने वाली पत्रिकाओं और यौन आनंद के तरीके बताने वाले तथाकथित विशेषज्ञों ने इतना बढ़ावा दिया कि ये एक सच नज़र आने लगा. इस अध्ययन में ऐसी महिलाओं को चुना गया जो जुड़वाँ थीं और उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि उनके भीतर जी-स्पॉट है. ...