राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी हैं। लगातार इंजेक्शन देने से पशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुओं के लिए तो जानलेवा है ही, यह इंजेक्शन लगाने के बाद पशुओं से लिया जाने वाला दूध इंसानों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। पशुपालक अधिक आय की लालच में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल जिन पशुओं को ऑक्सीटोसिन दिया जाता है, उनके दूध के उपयोग से महिलाओं में बार-बार गर्भपात और स्तन कैंसर होना, लड़कियों का उम्र से पहले ही वयस्क होना, बच्चों की आँखें कमजोर होना और फेफड़ों व मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव जैसी समस्याएँ आती हैं। भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282 (ई) 16 जुलाई 1996 के तहत यह दवा एच श्रेणी में आती है और इसकी खुली बिक्री संभव नहीं है। इसके बावजूद पान की दुकान स...