Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2010

जामुन से लाभ

गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी।  जामुन के कच्चे फलों का सिरका बनाकर पीने से पेट के रोग ठीक होते हैं। अगर भूख कम लगती हो और कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस सिरके को ताजे पानी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह और रात्रि, सोते वक्त एक हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है।  जामुन के रस का प्रयोग कुछ विशेष औषधियों के निर्माण के लिए भी किया जा रहा है, जिनके माध्यम से सिर के सफेद बाल आना बंद हो जाएँगे।  जामुन की गुठली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी मानी गई है। इसकी गुठली के अंदर की गिरी में 'जंबोलीन' नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसी से मधुमे ह के नियंत्रण में सहायता मिलती है। 

तेज गर्मी से बचने के उपाय

आप अगर बहुत थकान महसूस कर रहे हैं तो पानी के छीटों से आप फ्रेश महसूस करेंगे। सादा पानी भी आपकी त्वचा को तरोताजा रखता है। वह एक प्राकृतिक म ॉइस्चराइज़र की तरह काम करता है। खीरे के जूस को आप चेहरे पर लगाएँ तो इससे चहरे पर ठंडक महसूस होगी तथा सनबर्न (धूप की जलन) की समस्या से बचे रहेंगे। ऑफिस से जब आप लौट कर आते हैं तब आप अपने पैर, हाथ, हल्के गुनगुने पानी में डाल कर रखें जिससे कि आपकी सारी थकान कम हो जाएगी। अगर आप चाहें तो इस पानी में थोड़ा सा नमक भी डाल सकते हैं। इससे पैर कोमल हो जाते हैं तथा आप सॉफ्टनर से पैरो के तले को साफ कर सकते हैं। दस से पन्द्रह मिनट तक अपने पैर को पानी में डालकर रखें इससे शरीर का रक्तसंचार भी बढ़ेगा। एक बोतल में आप थोड़ा सा कोलोन् या परफ्यूम की थोड़ी सी बूँदों को लेकर आप अधिक मात्रा पानी के साथ उसे मिला दे ं । स्प्रे बोतल की तरह इसे इस्तेमाल कर आप रिफ्रेश हो सकते हैं।

अजवाइन के असरकारी गुण

अब तक अजीर्ण होने की स्थिति से बचने या पाचन क्रिया को अच्छा बनाए रखने के लिए दादी-नानी अजवाइन की फंकी मार लेने की नसीहत देती आई हैं। घरों में तो अजवाइन का खट्टा-मीठा पाचक मिश्रण भी खाने के बाद सेवन हेतु बनाकर रखा जाता है..लेकिन अब इस महकदार मसाले का एक और फायदा सामने आया है। जी हाँ.. अजवाइन को पथरी से निजात दिलाने में भी कारगर माना जा रहा है। भारतीय भोजन विधि में अन्य मसालों के साथ अजवाइन का भी प्रयोग आम है। पकौड़े से लेकर बेकरी के बिस्किट तक में इसका प्रयोग किया जाता है। अजवाइन की पत्तियों का प्रयोग भी स्वादिष्ट पकवानों को बनाने में किया जाता है। इन सारे प्रयोगों के अलावा प्राचीन चिकित्सा पद्धति के अनुसार अजवाइन का उपयोग गुर्दे की पथरी को दूर करने में भी किया जा सकता है। आयुर्वेद तथा यूनानी पद्धति से चिकित्सा करने वाले इस बात पर विश्वास करते हैं कि अजवाइन को शहद के साथ लेने से गुर्दों में स्थित पथरी के छोटे टुकड़े हो जाते हैं और इस नियमित प्रयोग से वे टुकड़े शरीर के बाहर हो जाते हैं। इस तरह गुर्दों की पथरी पर अजवाइन कारगर सिद्ध हो सकती है।

कैसे बचें अस्थमा से

आज विश्व अस्थमा दिवस है। यूँ तो कई दिवस आते हैं और हम उनके बारे में चर्चा करके भूल भी जाते हैं, पर आज का दिन याद रखना जरूरी है, क्योंकि सवाल साँसों का है। अगर इस दिन की गंभीरता को न समझा तो साँसें कभी भी थम सकती हैं। न चाहते हुए भी दुनियाभर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो अपने हिस्से की साँस भी पूरी तरह नहीं ले पाते। आखिर इसकी क्या वजह है, कैसे अस्थमा के रोगियों को कम किया जा सकता है... जैसे विषयों पर चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी हम आप तक पहुँचा रहे हैं। शहर में धुएँ और धूल के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यही नहीं, पेट्रोल पंप पर काम करने वाला हर दसवाँ कर्मचारी अस्थमा की चपेट में है। इसकी सबसे प्रमुख वजह है प्रदूषण के बीच कार्य करना। इस रोग को रोका जा सकता है, जरूरत है सावधानी की। . धूम्रपान न करें, स्वच्छ वातावरण में रहें . हरियाली के बीच टहलें, व्यायाम, स्वीमिंग करें . बीमारी होने पर ठंडे व खट्टे भोजन से परहेज करें . धूल, धुआँ, प्रदूषण से बच्चों को बचाएँ . नियमित रूप से जाँच कराएँ . आशंका होने पर संबंधित चिकित्सक से ही जाँच कराएँ . धुआँ, धूल से बचने...

टैटू से त्वचा को खतरा

गाँव के लोगों द्वारा गुदवाए जाने वाले गोदने अब टैटू बन चुके हैं। इसका क्रेज दुनिया भर में छाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा टैटू गुदवाने से आपकी स्किन असंवेदी हो जाती है। ठेठ भाषा में कहें, तो आपकी चमड़ी बेशरम हो जाती है। टैटू एक फैशन पहले गोदना गुदवाना फैशन में नहीं था, मगर अब नए अवतार टैटू के रूप में यह एक फैशन बन गया है। कुछ लोग तो पूरे शरीर पर टैटू गुदवाते हैं। पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि टैटू गुदवाने से त्वचा की संवेदना में कमी आती है। उत्तरी कोलेरैडो विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र टॉड एलन ने इस अध्ययन के दौरान 54 लोगों की त्वचा की संवेदनशीलता का मापन किया, जिनमें से 30 ने टैटू गुदवाए हुए थे। त्वचा की संवेदनशीलता के मापन हेतु एक सरल-से उपकरण एस्थेसियोमीटर का इस्तेमाल किया जाताहै। यह डिवाइडर जैसा एक उपकरण है, जिसमें प्लास्टिक की दो नोक होती हैं। संवेदनशीलता की जाँच के लिए इन दोनों नोकों को व्यक्ति की त्वचा पर स्पर्श किया जाता है और उसे यह बताना होता है कि दो नोक छुआई गई हैं या एक। धीरे-धीरे इन नोकों के बीच दूरी बढ़ाई जाती है और तब तक बढ़ाई ...

एक कप चाय हो जाए !

चाय एक लोकप्रिय पेय है। न केवल हम स्वयं ही इसका सेवन करते हैं, अपितु अतिथियों का स्वागत-सत्कार भी चाय से ही किया जाता है। सच तो यह है कि चाय लोगों की जिंदगी में रच-बस गई है। हाल में वैज्ञानिकों ने इस बात पता लगाया है कि चाय का सेवन हृदय को स्वस्थ बनाए रखता है। मानवीय विषयों पर किए गए विशेष क्लिनिकल अनुसंधान से यह तथ्य उजागर हुआ है कि हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए हमारी रोजमर्रा की डाइट में चाय सेवन की प्रमुख भूमिका है।  अमेरिका कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के एक शोध के अनुसार काली चाय हृदय के लिए काफी अच्छी है। इसमें मौजूद फ्लेवेनाइड्स एंटीऑक्सीडेंट हृदय के सेल्स तथा ऊतकों की ऑक्सीकरण से होने वाली क्षति से सुरक्षा करते हैं।  एक अन्य शोध से पता चलता है कि चाय का सेवन थक्के बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित रखता है जिससे हृदयाघात की आशंका कम हो जाती है। रक्त में एंटीऑक्सीडेंट का घनत्व बढ़ने से चाय हृदय के लिए लाभदायक है। जो महिलाएँ प्रतिदिन कुछ कप चाय पीती थीं, उनमें हृदय रोग के लिए मुख्य रूप से उत...

ताली पीटें, रोग भगाएँ

पिछले करीब 5 सालों से हर दिन नहाने के बाद 15 मिनट ताली बजाता हूँ। मेरा अनुभव रहा है कि बेहद खराब जीवन शैली व रोगों के घर मोटापे के बावजूद केवल इस आदत ने अब तक मेरी रक्षा की है। ताली बजाने के फायदे पर मेरा भरोसा इस कदर बढ़ा है कि कोई पेट या सिर में होने वाली किसी भी परेशानी के लिए अच्छे डॉक्टर की सलाह माँगता है तो मैं पहले ताली की महिमा का बखान करने लग जाता हूँ। जिन लोगों ने मेरी यह सलाह मानी वे सभी मेरे शुक्रगुजार हैं। पिछले महीने की एक घटना के बाद लगा कि मुझे अपना यह अनुभव विशाल पाठक वर्ग से भी बाँटना चाहिए। खबरों की टोह लेने कुछ लंबे छरहरे स्वास्थ्य रिपोर्टरों के साथ शास्त्री भवन में था। वहाँ खुली सस्ती जेनेरिक दवा की सरकारी दुकान में घुस गया। वहाँ कक्ष में बैठे एमबीबीएस डॉक्टर से हम सब ने अपना ब्लड-प्रेशर नपवाया। मेरे ब्लड-प्रेशर की 120/80 रीडिंग देख कर उन्हें सहज यकीन ही नहीं आया। 50 से अधिक उम्र और इतनी बड़ी तोंद के बावजूद इतना 'आदर्श' ब्लड-प्रेशर, कैसे संभव है। दूसरे साथियों का ब्लड-प्रेशर भी सामान्य था लेकिन इतना सामान्य नहीं था। जब मैंने डॉक्टर को ताली बजाने...

समर में कूल : कलरफूल अंगूर

अंगूर सारे भारत में आसानी से उपलब्ध फल है। इसमें विटामिन-सी तथा ग्लूकोज पयाप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में खून की वृद्धि करता है और कमजोरी दूर करता है। यही कारण है कि डॉक्टर लोग मरीजों को फलों में अंगूर ही खाने की सलाह देते हैं। अंगूर को संस्कृत में द्राक्षा, बंगला में बेदाना या मनेका, गुजराती में धराख, फारसी में अंगूर, अरबी में एनवजबीब, इंग्लिश में ग्रेप या ग्रेप रैजिन्स तथा लैटिन में विटिस्‌ विनिफेरा कहते हैं। अंगूर के औषधि गुण : प्रत्येक 100 ग्राम अंगूर में लगभग 85.5 ग्राम पानी, 10.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 0.8 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 0.03 ग्राम कैल्शियम, 0.02 ग्राम फास्फोरस, 0.4 मिलीग्राम आयरन, 50 मिलीग्राम विटामिन-बी, 10 मिलीग्राम विटामिन-सी, 8.4 मिलीग्राम विटामिन-पी, 15 यूनिट विटामिन-ए, 100 से 600 मिलीग्राम टैनिन, 0.41-0.72 ग्राम टार्टरिक अम्ल पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सोडियम क्लोरॉइड, पोटेशियम क्लोरॉइड, पोटेशियम सल्फेट, मैग्निशियम तथा एल्युमिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी त...

दवाएँ छोड़ो, दिनचर्या बदलो

लाइफ स्टाइल बदलने से हेल्थ की कई प्रॉब्लम्स अपने आप चली जाती हैं। मसलन यदि आप देर तक सोने के आदी थे और अब जल्दी उठने लगे हैं तो डेफिनेटली आपकी हेल्थ में पॉजिटीव इम्प्रूवमेंट होगा। इसलिए दवाएँ छोड़ना हों तो दिनचर्या बदल डालिए। हमें बहुत सारी महँगी दवाइयाँ खाकर भी अपनी बीमारी से मुक्ति नहीं मिल पाती। क्या आपकी बीमारी का इलाज सिर्फ दवाइयाँ हैं? नित नई ऊँचाइयों को छूने की अंधी दौड़ में अस्त-व्यस्त जीवन व अत्यधिक तनाव ही हमारे हिस्से में आता है। परिणामस्वरूप कार्यक्षमता घट जाती है। बीमारियाँ, मानसिक विकार, निराशा व खीज व्यक्ति को घेरने लगते हैं। इन बीमारियों के लिए जिम्मेदार हमारी जीवनशैली है। ये नतीजा है, स्वास्थ्य व जीवनशैली के बीच के असंतुलन का, परंतु हम बीमारी की जड़ को देखे बिना बस दवाइयाँ खाने पर विश्वास करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियाँ, हायपरकोलेस्ट्रोलेमिया मोटापा या जोड़ों का दर्द आदि इन बीमारियों की जड़ क्या है? उदाहरण के लिए यदि आप उच्च-रक्तचाप से पीड़ित हैं और रोज दवाइयाँ खा रहे हैं। यह आपके लिए हानिकारक है। इसकी शुरुआत कहाँ ...

पानी कब न पिएँ?

वैसे तो शरीर में पानी की मात्रा सर्वाधिक रहती है, फिर भी हमें पानी की जरूरत होती है। बिलकुल फिट रहने हेतु पानी पीने के भी कुछ नियम होते हैं। हम कुछ खास नियम यहाँ बताना चाहेंगे- * व्यायाम करने के तुरंत बाद या धूप में घूमकर आने के बाद पानी पीना वर्जित है। * जब आपका पेट बिलकुल खाली हो और आप भोजन करने वाले हों, तब पानी पीने से पाचन शक्ति कमजोर होती है। भोजन के अंत में पेट भर पानी पीना हानिकारक होता है। * पके फल, ककड़ी, खीरा, तरबूज और मेवे खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीते। * सोकर उठने पर तुरंत पानी पीने से कुछ लोगों में जुकाम होने का भय रहता है अतः ऐसे लोग सुबह उठकर पानी न पिएँ । * चिकनाहट के व खट्टे पदार्थ खाने के बाद, चाय-दूध पीने, छींकने के बाद के तुरंत बाद पानी पीना हानिकारक है। * सेक्स के तुरंत बाद पानी पीना वर्जित है।

हेल्थ के लिए खूब बातें कीजिए

क्या यह सुनने-सुनते आपके कान पक गए हैं कि ज्यादा बातें करना अच्छी बात नहीं? ...तो यह भी सुन लीजिए कि वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि बातें करने से आपका दिमाग तेज होता है और मानसिक स्वास्थ्य बढ़िया रहता है। माना जाता है, बातें बनाना बुरी बात है। लोग अक्सर कहते भी हैं, इस तरह बातें बनाने से बात नहीं बनेगी। लोग बातूनी लोगों को अक्सर व्यंग्य से इस तरह वाक्‌पटु कहते हैं मानो उन्हें चिढ़ा रहे हों। लेकिन बातें बनाना या ज्यादातर लोगों से संवाद स्थापित कर लेना न तो किसी बेवकूफी की निशानी है और न ही इससे कोई नुकसान है। भले ही लोग कहते हों कि बातें बनाने से कुछ नहीं होगा, मगर वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत शोध के जरिए साबित किया है कि बातें बनाना न सिर्फ बुद्धिमान बनने का जरिया है, बल्कि निरंतर और हर तरह के लोगों से संवाद कला में माहिर होने वाले लोग जीनियस भी साबित होते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) ने एक विस्तृत शोध में पाया है कि जब आप रोजाना 10 मिनट किसी के साथ किसी भी विषय पर बातचीत करते हैं तो इससे न केवल आप धीरे-धीरे संवाद कला में माहिर होते जाते हैं, बल्कि इससे याददाश्त भी तेज हो...

दूध भी हो सकता है जहरीला

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी हैं। लगातार इंजेक्शन देने से पशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुओं के लिए तो जानलेवा है ही, यह इंजेक्शन लगाने के बाद पशुओं से लिया जाने वाला दूध इंसानों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। पशुपालक अधिक आय की लालच में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल जिन पशुओं को ऑक्सीटोसिन दिया जाता है, उनके दूध के उपयोग से महिलाओं में बार-बार गर्भपात और स्तन कैंसर होना, लड़कियों का उम्र से पहले ही वयस्क होना, बच्चों की आँखें कमजोर होना और फेफड़ों व मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव जैसी समस्याएँ आती हैं। भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282 (ई) 16 जुलाई 1996 के तहत यह दवा एच श्रेणी में आती है और इसकी खुली बिक्री संभव नहीं है। इसके बावजूद पान की दुकान स...

गोल्डन टिप्स फॉर हेल्दी हार्ट

चुस्त बनें हमारे व्यस्त जीवन में समय निकाल पाना बहुत मुश्किल है। खासकर जो लोग काम पर जाते हैं, वे दिल की बीमारियों के जोखिम से घिर जाते हैं। जो समय का उचित प्रबंधन कर पाते हैं वे बताएँगे कि उनके पास कितनी अतिरिक्त ऊर्जा है और वे पूर्व में नियमित व्यायाम करने की शुरुआत करने के मुकाबले अब कितना ज्यादा कार्य करने में सक्षम हैं। इसलिए कोई बहाना न बनाएँ, तुरंत चुस्त होने की दिशा में कदम उठाएँ। क्यों जरूरी है चुस्त रहना प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने से आप हृदय की बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं। बिना किसी नियमित शारीरिक गतिविधि के शरीर धीरे-धीरे अच्छा कार्य करने की क्षमता और शक्ति खो देता है। सलाह स्वस्थ हृदय रखने के लिए प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट के संतुलित व्यायाम या प्रति सप्ताह 75 मिनट के कठोर व्यायाम या दोनों के संयोजन की सलाह दी जाती है। कसरत आपके शरीर में गति पैदा कर कैलोरी (ऊर्जा) को खत्म करती है,जैसे सीढ़ी चढ़ने से या खेलने से शरीर की ऊर्जा खर्च होती है। एरोबिक (करतबी) व्यायाम आपके हृदय को फायदा पहुँचाते हैं। टहलना, दौड़ना, तैरना और साइकल चलाना आदि कई तरह की कसर...