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Showing posts from January, 2010

स्वादिष्ट प्रोन बिगाड़ सकता है सेहत

बेंगलुरू। प्रोन के शौकीनों को सावधान रहने की जरूरत है। हाल में इसमें बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस के साथ ही खतरनाक स्तर तक रसायन पाए गए हैं। इसके बाद हमसे सबसे अधिक प्रोन आयात करने वाले यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने पिछले एक महीने में 400 टन खेप लौटा दी है। विभिन्न बंदरगाहों पर पड़ा यह माल अब बेंगलुरू, मेंगलोर और पणजी के मछली बाजार और होटलों में पहुंचाया जा रहा है। खाद्य और कृषि संगठन के वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी इड्डया करुणासागर ने बताया कि खाद्य सुरक्षा को लेकर ईयू के नियम बहुत कड़े हैं। प्रोन में ज्यादा मात्रा में बैक्टीरिया, विशेषकर साल्मोनेला के पाए जाने के कारण निर्यातकों का माल लौटाया गया है। हालांकि निर्यातकों को ईयू के इस निर्णय से कोई शिकायत नहीं है। उनका कहना है कि वे अपने माल को लगभग उतने ही दाम में बेंगलुरू, मेंगलोर और पणजी के बाजार में बेच रहे हैं, जितना उन्हें ईयू में मिलता था। बेंगलुरू के रसेल मार्केट और कर्नाटक मत्स्य विकास निगम के आउटलेट में प्रॉन 600 से 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। एक व्यापारी मोहम्मद गुलरेज ने बताया कि यहां प्रतिदिन 350 कि लो माल...

महिलाओं को चाहिए 20 मिनट ज्यादा नींद

लंदन महिलाओं को पुरुषों से 20 मिनट ज्यादा नींद की जरूरत होती है और ऐसा उनके दिमाग के व्यस्त रहने और ज्यादा काम करने के कारण होता है। लोबोरो यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर जिम हॉर्ने की मानें तो नींद का मुख्य काम दिमाग को अपने आप मुरम्मत के काबिल करना है। इस दौरान दिमाग का कोर्टेक्स संवेदनाओं से अलग होकर दुरुस्त होने लगता है। कोर्टेक्स दिमाग का वह हिस्सा है जो भाषा, विचार और याद्दाश्त के लिए जिम्मेदार होता है। जिम कहते हैं, आप दिनभर में दिमाग का जितना ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उतना ही इसे ठीक होने की जरूरत होती है। उसी हिसाब से नींद भी चाहिए। दिन में बहुत से काम करने के कारण महिलाओं का दिमाग पुरुषों से ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस कारण उन्हें ज्यादा नींद लेनी चाहिए। प्रो. जिम के मुताबिक जो पुरुष ऐसे पद पर काम करते हैं, जिसमें बहुत से निर्णय लेने पड़ते हों, उन्हें भी ज्यादा नींद की जरुरत पड़ती है लेकिन महिलाओं जितनी नहीं। महिलाओं को औसतन पुरुषों से 20 मिनट ज्यादा नींद की जरुरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं का दिमाग पुरुषों से अलग और ज्यादा जटिल होता है।प्रो. जिम का मानना है कि पुरुष और महि...

फिश थैरेपी और वाइन मसाज

सप्ताह के छह दिन जबरदस्त काम के बाद हममें से कई अपने लिए भी कुछ खास करना चाहते हैं। यूं कहें कि खुद को पैंपर करने की कोशिश में रहते हैं। ऐसे में शरीर को सुकून व आराम देने के लिए कई तरीके हैं, जो अपनाए जा सकते हैं। फिश थैरेपी फिश थैरेपी भारत में कुछ समय पहले ही आई है। संभव है कि इसे सुनकर आपके दिमाग में कुछ अजीबोगरीब विचार आएं, लेकिन घबराइए नहीं पैरों को आराम देने और डैड स्किन को अलग करते हुए पैरों को खूबसूरत दिखाने का यह एक नया तरीका है। इसमें आपके पैरों को मछलियों की गररा रूफा प्रजाति से भरे टब में डुबोया जाता है। यह तुर्की की खास मछलियां हंै, जो डैड स्किन को खा लेती हैं। यह आपको हल्की सी चुभन के साथ आराम का भी अहसास देती हैं। इन दांत रहित मछलियांे के अटैक के बाद यह जरूर नजर आएगा कि पैरों में जान आ गई है। बस इसके बाद शानदार पैडीक्योर और फुट मसाज लें, ताकि प्रेशर प्वॉइंट्स के जरिए भी आराम मिल सके। बैंबू मसाज 20 मिनट की नींद के बाद आपको बैंबू मसाज के लिए जगाया जाता है। बांस का नाम सुनकर घबराने या डरने की जरूरत नहीं है। इसमें शरीर को अच्छी तरह मसाज करके इसके ऊपर बांस की गोल छड़ों को रोल ...

'क्रीम वियाग्रा' ज़्यादा सुरक्षित

न्यूयॉर्क में वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों में यौन उत्तेजना के लिए उपयोग में आने वाली दवा का इस्तेमाल टैबलेट के बजाय क्रीम के रूप में करना ज़्यादा सुरक्षित है. चूहों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक वियाग्रा, लेविट्रा और साएलिस जैसी दवाइयां छोटे- छोटे कैपसूलों के ज़रिए सीधे त्वचा में लगाई जा सकती हैं. ‘सेक्सुअल मेडिसिन’ नामक पत्रिका में छपे इस शोध में कहा गया है कि इससे दवा का असर और ज़्यादा होगा जबकि इससे होने वाले ‘साइड इफेक्ट्स’ में भी कमी आ सकती है. लेकिन क्रीम के रूप में इन दवाओं के आने में अभी एक दशक का समय लग सकता है. उत्तेजनात्मक कमज़ोरी के इलाज के लिए टेबलेट के रूप में दवाइयों की खोज दवा उद्योग की बड़ी सफलताओं में से एक मानी जाती है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन दवाओं का इस्तेमाल दुनिया भर में करोड़ों लोग करते हैं. टैबलेट का असर होने में आधा से एक घंटा तक का समय लगता है, जबकि क्रीम का असर कुछेक मिनटों में ही हो जाता है.  हालांकि इन दवाओं से बहुत से लोगों को फ़ायदा पहुंचा है लेकिन सिर दर्द, आंखों की बीमारी और पेट की ख़राबी जैसे कई साइड इफेक्ट्स ...

टीकों के लिए 10 अरब डॉलर

माइक्रोसॉफ़्ट के संस्थापक बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा ने कहा है कि नए टीकों के विकास और वितरण के लिए अगले दस वर्षों में वे दस लाख डॉलर की राशि दान में देंगे. दावोस, स्विट्ज़रलैंड में वर्ल्ड इकॉनॉमिक फ़ोरम में बोलते हुए बिल गेट्स ने कहा कि लक्ष्य यह है कि विकासशील देशों के 90 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हो सके. पिछले दस सालों में गेट्स दंपति ने टीकों के विकास और वितरण के लिए 4.5 अरब डॉलर की राशि दान में दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस घोषणा को 'अभूतपूर्व' बताया है. बिल गेट्स ने कहा है कि अगर ग़रीब देशों के 90 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हो सके तो वर्ष 2010 से 2019 के बीच क़रीब 76 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है. एक बयान में उन्होंने कहा, "हमें इस दशक को टीकों का दशक बनाना चाहिए." उन्होंने कहा है, "टीकों की वजह से विकासशील देशों में पहले से ही लाखों लोगों का जीवन बचा और बेहतर हुआ है. आविष्कारों से पहले की तुलना में ज़्यादा बच्चों की ज़िंदगी बचाना संभव हो सकेगा." उनका कहना है कि डायरिया और निमोनिया के लिए जो टीके विकसित हो चुके हैं उनके निर्माण और वितरण के...

क्या वाक़ई कोई जी-स्पॉट होता है?

अभी तक अक्सर ये चर्चा होती रही है कि कुछ महिलाओं में एक ऐसा स्थान होता है जो उन्हें यौन का चरम सुख देने में मदद करता है और इस स्थान को जी-स्पॉट कहा जाता है. लेकिन अब कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि ऐसा कोई स्थान होता ही नहीं है और यह सिर्फ़ एक भ्रम है. इन शोधकर्ताओं ने अनेक महिलाओं में यह स्थान यानी जी-स्पॉट को ढूँढने की कोशिश की है लेकिन ऐसा कोई बिंदु नहीं मिला है. इस आशय के एक अध्ययन का परिणाम जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन को इस विषय पर अभी तक का सबसे बड़ा कहा जा रहा है जिसमें 1800 महिलाओं को शामिल किया गया. लंदन के प्रतिष्ठित किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों के इस दल का विश्वास है कि जी-स्पॉट महिलाओं की कल्पना का नतीजा मात्र हो सकता है जिसे यौन विषयों को बेचने वाली पत्रिकाओं और यौन आनंद के तरीके बताने वाले तथाकथित विशेषज्ञों ने इतना बढ़ावा दिया कि ये एक सच नज़र आने लगा. इस अध्ययन में ऐसी महिलाओं को चुना गया जो जुड़वाँ थीं और उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि उनके भीतर जी-स्पॉट है. ...

अनचाहे गर्भधारण से बचने की नई दवा

अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए हाल ही में एक ऐसी दवा को लाइसेंस मिला है जिसका सेवन महिलाएं यौन संबंध बनाने के पाँच दिनों बाद भी कर सकती हैं . स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया है कि नई गोली यूलीप्रिस्टल अभी तक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हो रही गर्भनिरोधक गोली लेवनरजेस्त्रल से भी ज़्यादा असरदायक है. हालाँकि लेवनरजेस्त्रल दवा तीन दिनों के भीतर ही इस्तेमाल किए जाने पर अपना असर दिखाती है, लेकिन ये नई दवा यूलीप्रिस्टल सहवास के पांच दिनों बाद भी खाने पर अपना असर दिखाती है. अभी यूलीप्रिस्टल सिर्फ डॉक्टर के पर्चे पर ही मिलती है जबकि लेवनरजेस्त्रल दवा की दुकान से सीधे ही हासिल की जा सकती है. परीक्षण यौन संबंध के बाद गर्भनिरोध के लिए इस्तेमाल की जा रही गोलियां शरीर में मौजूद हॉर्मोन पर ऐसे असर डालती हैं कि वो या तो प्रजनन के लिए अंडाशय से अंडे को निकलने नहीं देती है या फिर उसे गर्भाशय में विकसित नहीं होने देती है. यूलीप्रिस्टल के असर के बारे में जानने के लिए और पिछले साल उसके इस्त...